हे माते! तू सर्वज्ञ है क्योंकि सबके भीतर स्थित आत्मा है तू। तेरी सत्ता चहुंओर और अनंत है। तू ब्रह्मा में रचनात्मक शक्ति, विष्णु में पालन-पोषण की शक्ति, एवं शिव में संहारक शक्ति के रूप में स्थित है। तेरे अनंत नाम व रूप हैं। शब्द, चेतना, बुद्धि, निद्रा, क्षुधा, छाया, शक्ति, तृष्णा, क्षान्ति (सहिष्णुता), जाति, … Continue reading योगी आनंद द्वारा भगवती दुर्गा की प्रार्थना
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वैदिक मन्त्रों द्वारा उद्देश्य प्राप्ति
मन्त्रों में अनंत शक्ति होती है. हरेक मंत्र का कोई न कोई द्रष्टा होता है, जिन्होंने उस मंत्र को गहन ध्यान की अवस्था में साक्षात्कार किया, जिनके अक्षरों में अन्तर्निहित अपरिसीम शक्ति प्राप्त की जा सकती है .